Anju Dixit

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चंडीगढ़ की मन को लुभाती छटा,

बहुत  सुना था चंडीगढ़ के बारे में बहुत अच्छा शहर है एकदम लाजबाब पर यह खुशनसीबी रही हमारी हम वहाँ  पूरे दो  महीने रहे  ,
वाह वाह कितनी शानदार जगह हैं हर तरह से बेहतरीन  है।
तो बताते हैं रहना हुआ कैंट में क्योंकि हमारे छोटे बहनोई जी आर्मी में हैं
उस समय हमारी बहन माँ बनने बाली थी सो हम पहुँच गए उनके पास
उनकी देखभाल करने के लिए ।
काफी जगह घूमना हुआ जिस नीचे सभी फौजियों  के अपार्टमेंट थे ऊपर पहाड़ी पर फौजियों का ऑफिस  काफी खूबसरत सामने पहाड़ पर जब सुबह सुबह भांप उठती तो  बहुत मनभावन लगता ,और जब सूर्य उधर से मध्यम मध्यम उदित होता तो लगता मानों थककर रात यहीं सो गया था अब तरोताजा होकर उठ आया बहुत देर निहारती मैं उस अदभुत प्राकृतिक नजारे को।
पहाड़ी मौसम का मिजाज भी बड़ा चंचल होता है जरा में ठंडा जरा में गर्म और बड़ी जोरों की बारिश शुरू हो गयी  और  क्वाटर के बाहर बनी बॉलकनी में सो गयी पर पहले पूछ लिया कोई डर तो नही तभी मेरे बहनोई जी हंसके बोले यह केन्ट है भाभी कोई डर नहीं आप सो जाइए
अरे यह क्या एक घण्टे बाद मौसम का मिजाज बदला और ठंडी बड़ गयी मैं अंदर आ गयी।
तभी पतिदेव भी पहुंच गए ,और प्लान बना चंडीगढ़ घूमने का  और अगले दिन हम घूमने पड़े रॉक गार्डन वाह वाह एक भूल भुलैया पत्थर से , कहीं काँच से सजे गमले , पुतले, कुत्रिम जलप्रपात बेहतरीन।
फिर  गए रोज गार्डन   हर तरह के गुलाब  यों लगा फूलों की वादियों में आ गए  इधर उधर गुलाब  बीच में पानी में बना एक सुंदर सा बरामदा
हमनें  ऐसे खूबसूरत बड़े बड़े हर कलर के गुलाब देखे वहाँ ।
मन ठहर गया कह रहा यहीं बस जा अंजू   पर कुछ समय बाद चल दिए मन में वो खूबसूरत तस्वीरे समेटे।
अब आ गए पिंजौर गार्डन अरे उसके बाहर पेड़ो पर हजारों की मात्रा में चिमकादड़ लटके थे  अन्दर तो प्रकृति अपना अनोखा ही रूप  दिखा रही थी सेब, लीची, आड़ू के पेड़।
सेब अभी छोटे थे पर हल्के हरे गुछे  गुछे टहनियों पर बहुत प्यारे लग रहे थे,  और लीची के पेड़  और उसपर लड़ी फुंदी  कच्ची  पकी लीची बहुत बढ़िया लग रहीं थी पहली बार एकदम ताजा ताजा डाल की लीची आड़ू खाये क्या खूब लग रहा था वहीं बगीचे में बैठकर मन्द मन्द बहती खुश्बू से भीगी व्यार मनमोहक प्राकृतिक सानिध्य   शाम गहरा चुकी थी सो  वापस आ गए खाना बाहर   ही खा आये  और घर आकर सो गए।
सुबह उठते ही फिर चल पड़े सुखना झील घूमने अदभुत अद्वितीय  नजारा बड़ी सजीली नाव लाइन लाइन लगीं थी वो उसे शिकारा बुला रहे थे हमने भी एक चिड़िया से मुंह बाली नाव को चुना पर सुरक्षा के लिए उन्होंने एयर बैल्ट लगा दी और खूब मस्ती की पर एक निशान था उससे आगे जाना मना था ।
बाहर आकर देखा कइ चित्रकार लोगों का हु बहु चित्र बना रहे थे एकदम  वैसा ही, बहुत बढ़िया था सब।
अक्सर हम कैंट एरिया में जाते समान लेने  बहुत साफ सुथरा था सब कई पार्क जहाँ फौजी लोगों की पार्टी होती थी हम भी जाते घूमने शाम को और घण्टो बिताते वहाँ,
वहाँ था एक मीना बाजार बहुत खूबसूरत जगह  बहुत रौनकों से भरा।
शाम को अक्सर हम  बच्चों को लेकर घूमने निकल जाते कितने प्यारे तरीके से पेड़ो को कहीं मोर, कहीं,चिड़िया ,कहीं जिराफ का आकार दिया था ।
कितने  फौजी निकलते थे  वहाँ से देखकर मन  उन्हें नमन करता यही तो है मेरे देश के सिपाही  अलग अलग स्टेट से अगल अगल रंग रूप पर मन सबका एक भारत के रंग में रंगा जज्बा सबका एक देश हित समर्पित।
जब मेरी बहन एडमिट हो गयी तो मैं अकेली रह गयी जल्दी काम निपटाकर घण्टो निहारती उन हसीन पर्वतों को  और कई कविताएं भी लिखीं मैने उनके सौन्दर्य पर।
मेरी बहन ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया मैं आर्मी की गाड़ी से हौस्पिटल पहुँच गयी रोज 10 बजे गाड़ी आ जाती जिसे जाना होता चला जाता ।
बहुत अच्छी व्यवस्था थी वहां और गजब का कायदा मिलने का टाइम नियमित था बहुत केयरिंग था सब।
  बहुत प्यारी जगह है चंडीगढ़ हो भी क्यों न दो दो राज्यों की राजधानी भी है, पंजाब और हरियाणा, और रीयलस्टेट में अपनी खास जगह रखता है आज पूरे6 साल हो गए मैं चंडीगढ़ का वो अनूठा प्रकृति का मनोरम रैप न भूल पायी बहुत प्यारे दिन थे जो जिए हमने।
आज भी याद करके मन खो जाता है।


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5 Comments

Niraj Pandey

11-Oct-2021 07:34 PM

बहुत ही बेहतरीन

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Miss Lipsa

01-Oct-2021 06:10 PM

Fantastic

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Seema Priyadarshini sahay

30-Sep-2021 11:45 AM

बहुत खूबसूरत संस्मरण।

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